ABOUT इतिहास

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जियाउद्दीन बरनी के प्रमुख ऐतिहासिक ग्रंथ निम्न हैं- तारीख-ए-फीरोजशाही[संपादित करें]

सुदूर दक्षिण भारत के जन-जीवन पर ईसा की पहली दो शताब्दियों में लिखे गये संगम साहित्य से स्पष्ट प्रकाश पड़ता है। दक्षिण भारत में भी राजकवियों ने अपने संरक्षकों की उपलब्धियों का वर्णन करने के लिये कुछ जीवनचरित लिखे। ऐसे ग्रंथों में ‘नंदिवकलाम्बकम्’, ओट्टक्तूतन का ‘कुलोत्तुंगज-पिललैत्त मिल’, जयगोंडार का ‘कलिंगत्तुंधरणि’, ‘राज-राज-शौलन-उला’ और ‘चोलवंश चरितम्’ प्रमुख हैं।

यह सामग्री क्रियेटिव कॉमन्स ऍट्रीब्यूशन/शेयर-अलाइक लाइसेंस के तहत उपलब्ध है;

भूगोल से सम्बन्धित घटनाओं का कालक्रम[संपादित करें]

 पूर्व प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री की हत्या की साजिश 

पू. पहली शताब्दी में आरंभ हो चुकी थी। इन जातकों का महत्त्व केवल इसीलिए नहीं है कि उनका साहित्य और कला श्रेष्ठ है, प्रत्युत् तीसरी शताब्दी ई.पू. की सभ्यता के इतिहास की दृष्टि से भी उनका वैसा ही ऊँचा मान है।

अभी तक विभिन्न कालों और राजाओं के हजारों अभिलेख प्राप्त हो चुके हैं जिनमें भारत का प्राचीनतम् प्राप्त अभिलेख प्राग्मौर्ययुगीन पिपरहवा कलश लेख more info (सिद्धार्थनगर) एवं बंगाल से प्राप्त महास्थान अभिलेख महत्त्वपूर्ण हैं। अपने यथार्थ रूप में अभिलेख सर्वप्रथम अशोक के शासनकाल के ही मिलते हैं। मौर्य सम्राट अशोक के इतिहास की संपूर्ण जानकारी उसके अभिलेखों से मिलती है। माना जाता है कि अशोक को अभिलेखों की प्रेरणा ईरान के शासक डेरियस से मिली थी।

सिविल सेवा परीक्षा के नवीनतम पाठ्यक्रम पर आधारित सामग्री का समावेश

कल्हण कृत राजतरंगिणी से कश्मीर की जानकारी प्राप्त होती है।

रस्त्यातला एक पूल कोसळला अशी अफवा भाविकांमध्ये पसरला आणि घाबरलेले लोक इकडेतिकडे धावायला लागले होते.

त्यासाठी पायऱ्या आहेत. पायऱ्यांच्या दुतर्फा पूजेच्या साहित्याची दुकानं आहेत.

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शाहजहाँ की मृत्यु तक के इतिहास का विवरण सुजान राय भंडारी रचित खुलासत-उत-त्वारीख से प्राप्त होता है।

(ग) उत्तर से दक्षिण चलने पर क्षितिज का स्थानांतरण और नयी नयी नक्षत्र राशियों का उदय होना। अरस्तु ने ही पहले पहल समशीतोष्ण कटिबंध की सीमा क्रांतिमंडल से घ्रुव वृत्त तक निश्चित की थी।

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